नमस्ते छात्रों! आज हम शुरू कर रहे हैं 10वीं कक्षा के इतिहास के पहले अध्याय, “यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय”। यह अध्याय हमें यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास की अहम घटनाओं और कारणों के बारे में बताएगा। इस पोस्ट में 10वीं कक्षा के इतिहास के पहले अध्याय, “यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय” (Class 10th History Chapter 1) के लिए Notes दिए गए हैं जो आपके एग्जाम के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय । Class 10th History Chapter 1 Notes PDF
प्रश्न 1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखे
(क) ज्युसेपे मेसिनी
(ख) काउंट फैमिलो दे कावुर
(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
(घ) फ्रैंकफर्ट संसद
(इ) राष्ट्रवादी संघ में महिलाओं की भूमिका
उत्तर :-
(क) ज्यूजेपे सेमिनी
ज्यूजेपे सेमिनी एक इटालियन क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 1807 में जेनोआ में हुआ था और वे कार्बोनारी नामक गुप्त संगठन के सदस्य बन गए। 24 साल की उम्र में, उन्हें लिगुरिया में क्रांति करने के लिए देश से निकाल दिया गया। इसके बाद, उन्होंने दो और भूमिगत संगठनों की स्थापना की। पहला संगठन यंग इटली था, जो मार्सेल्स में था, और दूसरा संगठन यंग यूरोप था, जिसमें पोलैंड, फ्रांस, इटली और जर्मनी के युवाओं ने साझा विचार रखा। सेमिनी को यह मान्यता थी कि राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक एकता है, जो ईश्वर की मर्ज़ी के अनुसार होती है।
इसलिए, उनके नजरिए से इटाली का एकीकरण ही इटाली की स्वतंत्रता का मूल आधार था। उन्होंने राजतंत्र के खिलाफ सख्त विरोध किया और उनके आदर्श को मॉडल के रूप में बनाया, जिसे जर्मनी, पोलैंड, फ्रांस और स्विट्ज़रलैंड में भी गुप्त संगठनों ने अपनाया। इसलिए मेट्सिनी ने उनके बारे में कहा कि उन्हें हमारी सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन माना जाता है।
(ख) काउंट कैमिलो दे
कावूर इटाली में मंत्री प्रमुख थे, जिन्होंने इटाली के प्रदेशों को एकीकृत करने के आंदोलन का नेतृत्व किया। वे न तो क्रांतिकारी थे और न ही जनतंत्र में विश्वास रखने वाले इटालवी अभिजात वर्ग के सदस्यों की तरह थे। उन्हें इटालवी भाषा के बजाय फ्रेंच भाषा में अधिक बोलने की क्षमता थी।
इसलिए, इटाली के सम्राट विक्टर इमेनुएल ने उन्हें 1852 में सार्डिनिया-पौडमॉन्ट के प्रधानमंत्री बनाया। वे यहां पर आर्थिक, शैक्षिक और कृषि के विकास के लिए कार्य किया और सेना में सुधार किया। उन्होंने फ्रांस और सार्डिनिया-पौडमॉन्ट के बीच एक कूटनीतिक संधि की चाल चलाई, जिसके कारण उन्होंने इटाली की समस्याओं को यूरोपीय देशों के ध्यान में खींच लिया।
16 जून 1861 में उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन उन्हें अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफलता मिली। इसी कारण से 18 फरवरी 1861 में इटाली की संसद ने विक्टर इमेनुएल को ‘इटाली का सम्राट’ घोषित किया और इटाली का एकीकरण संभव हुआ। सार्डिनिया-पौडमॉन्ट ने 1859 में आस्ट्रियाई बलों को हराने में सफलता पाई।
(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध के द्वारा यूनानी लोगों ने पूरे यूरोप में शिक्षित और ऊँची वर्ग के लोगों में राष्ट्रीय भावनाएं फैलाई। 15वीं सदी से यूनान ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था। यूरोप में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद के प्रभाव से यूनानियों ने 1821 में आजादी के लिए संघर्ष शुरू किया। यूनान में राष्ट्रवादियों को निर्वासन के समय पश्चिमी यूरोप के अनेक लोगों का समर्थन मिला, जो प्राचीन यूनानी संस्कृति को सम्मान देते थे।
कवियों और कलाकारों ने यूनान को यूरोपीय सभ्यता का दीपक बताकर प्रशंसा की, और उन्होंने मुस्लिम साम्राज्य के खिलाफ यूनान के संघर्ष का समर्थन किया। अंग्रेज कवि लार्ड बायरन ने धन इकट्ठा किया और युद्ध लड़ने गए, जहाँ 1824 में उनकी मृत्यु हो गई। अंततः, 1832 में कुस्तुनतुनिया संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी।
(घ) फ्रैंकफर्ट संसद – जर्मन इलाकों में राजनीतिक संगठनों ने फ्रैंकफर्ट शहर में मिलकर एक सर्वजनिक जर्मन नेशनल एसेंबली के पक्ष में मतदान का फैसला किया। 18 मई, 1848 को 831 चुने हुए प्रतिनिधियों ने एक विशेष जुलूस में शामिल होकर फ्रैंकफर्ट संसद में अपनी स्थापना की। यह संसद सेंट पॉल चर्च में आयोजित हुई। उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का आदर्श तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता के लिए एक राजा का चयन किया गया, जो संसद के प्रशासनिक कार्यों के लिए उत्तरदायी था।
जब प्रतिनिधियों ने राजा फ्रेड्रिक विल्हेम चतुर्थ को ताज पहनाने का प्रस्ताव रखा, तो उन्हें इसे अस्वीकार कर उसे समर्थन नहीं मिला जो संसद के विरोधी थे। इसके परिणामस्वरूप, कुछ राजाओं ने संसद के खिलाफ हाथ मिलाया। इस प्रकार, कुलीन वर्ग और सेना के समर्थन में कमी हुई, जबकि संसद का सामाजिक आधार मजबूत था। संसद में मध्यम वर्ग का प्रभाव अधिक था, जिन्होंने मजदूरों और कारीगरों की माँगों के विरोध में फ्रैंकफर्ट शहर में मिलकर एक सर्वजनिक जर्मन नेशनल एसेंबली के पक्ष में मतदान का फैसला किया। 18 मई, 1848 को 831 चुने हुए प्रतिनिधियों ने एक विशेष जुलूस में शामिल होकर फ्रैंकफर्ट संसद में अपनी स्थापना की। यह संसद सेंट पॉल चर्च में आयोजित हुई। उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का आदर्श तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता के लिए एक राजा का चयन किया गया, जो संसद के प्रशासनिक कार्यों के लिए उत्तरदायी था।
जब प्रतिनिधियों ने राजा फ्रेड्रिक विल्हेम चतुर्थ को ताज पहनाने का प्रस्ताव रखा, तो उन्हें इसे अस्वीकार कर उसे समर्थन नहीं मिला जो संसद के विरोधी थे। इसके परिणामस्वरूप, कुछ राजाओं ने संसद के खिलाफ हाथ मिलाया। इस प्रकार, कुलीन वर्ग और सेना के समर्थन में कमी हुई, जबकि संसद का सामाजिक आधार मजबूत था। संसद में मध्यम वर्ग का प्रभाव अधिक था, जिन्होंने मजदूरों और कारीगरों की माँगों के विरोध में हैं
(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इन संघर्षों के वर्षों में, बहुत सारी महिलाएं सक्रिय ढंग से भाग लीं। वे अपने राजनीतिक संगठन बनाए, अखबारों की स्थापना की और राजनीतिक बैठकों और प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। हालांकि, उन्हें एसेंबली के चुनावों के दौरान मताधिकार से वंचित कर दिया गया। जब फ्रैंकफर्ट संसद ने सेंट पॉल चर्च में अपनी सभा आयोजित की, तब महिलाओं को केवल दर्शकों की भूमिका में उन्हें दर्शक दीर्घा में खड़े होने दिया गया।
प्रश्न 2. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए?
उत्तर :-
सदैव से ही फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने कई ऐसे कदम उठाए, जिनसे फ्रांसीसी लोगों के बीच एक सामूहिक एकता की भावना पैदा हो सकती थी। ये कदम निम्नानुसार थे:
1. परंपरा और नागरिकता की भावना के विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार को मजबूती दी, जिसमें सभी को संविधान द्वारा समान अधिकार प्राप्त थे।
2. एक नया फ्रांसीसी ध्वज चुना गया, जो पहले के राष्ट्रीय ध्वज की जगह ले ली।
3. इस्टेट जनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा होने लगा और उसे नेशनल एसेंबली के रूप में बदल दिया गया।
4. नई कविताएँ रची गईं, गीत सुनाए गए, शहीदों की प्रशंसा की गई और ये सब राष्ट्र के नाम पर किया गया।
5. एक केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई, जिसने सभी नागरिकों के लिए बराबर कानून बनाए।
6. आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए और मापन की एक समान व्यवस्था लागू की गई।
7. क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोतक्षित किया गया और पेरिस में फ्रेंच जैसी भाषा बोली और लिखी जाने लगी, जो राष्ट्र की साझी भाषा बन गई।
प्रश्न 3. मारीआन और जर्मनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्व था?
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति के समय कलाकारों ने स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी प्रतीकों का सहारा लिया। इनमें मारीआन और जर्मेनिया बहुत प्रसिद्ध हैं।
★ मारीआन एक प्रसिद्ध ईसाई नाम है। इसलिए फ्रांस ने अपने स्वतंत्रता के प्रतीक को इसी नाम से जाना जाता है। यह छवि जन राष्ट्र के विचारों का प्रतीक थी। इसके प्रतीक रंग लाल टोपी, तिरंगा और कलगी थे, जो स्वतंत्रता और गणतंत्र के प्रतीक हैं। मारीआन की प्रतिमाएँ सार्वजनिक चौराहों और महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थापित की गईं, ताकि लोगों को राष्ट्रीय एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद रह सके और वे इसे अपनी तादात्म्य स्थापित कर सकें। मारीआन की छवि सिक्कों और डाक टिकटों पर छपी गई थी।
★ जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र की एक नारी प्रतीक थी। इस छवि में वह बलूत-वृत्त के पतों को मुकुट पहनती है। क्योंकि जर्मनी में बलूत वीरता का प्रतीक है। उसने हाथ में तलवार पकड़ी हैं जर्मेनिया के हाथ में तलवार पकड़ी हुई थी और उस पर यह लिखा हुआ था, “जर्मन तलवार जर्मन राइन की रक्षा करती है।” इस तरीके से जर्मेनिया जर्मनी में स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र की प्रतीक बनकर उभरी एक नारी छवि थी।
प्रश्न 4 जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।
उत्तर :-
जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण चरण इस प्रकार हुए:
1. जब जर्मनी में एकीकरण की मांग उठी, तो संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की स्वतंत्रता के सिद्धांत विकसित हुए।
2. संसदीय व्यवस्था की तैयारी शुरू हो गई, जिसके माध्यम से संसद स्थापित की गई।
3. 1848 से ही जर्मन लोगों में राष्ट्रीय भावना जाग्रत हो गई, इसमें मध्यम वर्ग का बहुत योगदान रहा।
4. उदारवादी विचारधारा के लोगों ने राजशाही और सेना के खिलाफ संघर्ष किया, जिसमें उन्हें सफलता मिली।
5. प्रशासकीय ज़मींदारों ने भी इस राष्ट्रीय एकीकरण आंदोलन में सहयोग किया।
6. प्रशा ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया और उसे नया स्वरूप और दिशा दी।
7. प्रशा के प्रधानमंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क ने इस प्रक्रिया में सेना और नौसेना का सहायता की।
8. प्रशा ने ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस के साथ युद्ध किए और सफलता प्राप्त की।
9. 1871 में वर्साय के ममहल के शीशमहल में जर्मन राजकुमारों, सेना के प्रतिनिधियों और प्रधानमंत्री बिस्मार्क ने जर्मन सम्राट काइज़र विलियम प्रथम के नेतृत्व में नए जर्मन साम्राज्य की महत्वपूर्ण घोषणा की।
इस तरह जर्मन राष्ट्र का एकीकरण सम्पन्न हुआ, जिसमें प्रशा ने राज्य को महत्वपूर्ण शक्ति का केंद्र बनाया।
प्रश्न 5. अपने शासन वाले क्षेत्री में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए?
उत्तर –
नेपोलियन के नियंत्रण में आने के बाद, उन्होंने कई सुधारों की शुरुआत की। यहां उनके द्वारा किए गए सुधारों का वर्णन है:
1. नेपोलियन ने पुरानी सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक व्यवस्थाओं को खत्म किया।
2. सामाजिक समानता को स्थापित करने के लिए उन्होंने निम्न और उच्च वर्गों के बीच भेदभाव को समाप्त किया।
3. वर्ष 1804 में, नेपोलियन संहिता द्वारा विशेषाधिकार आधारित जन्म प्रणाली को समाप्त कर दिया गया। उन्होंने कानून के सामक्ष सभी को समानता और संपत्ति के अधिकार की सुरक्षा दी।
4. एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक संस्था बनाकर उन्होंने विद्वानों, कलाकारों और देशभक्तों को सम्मानित किया।
5. नेपोलियन ने डच गणराज्य, स्विट्जरलैंड, इटली और जर्मनी में प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया।
6. साम्राज्यवादी व्यवस्था को खत्म करने के लिए उन्होंने किसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्क से मुक्ति दिलाई।
7. उन्होंने शहरों में कारीगरों के श्रमिक संघों के नियंत्रण को हटा दिया। उन्होंने यातायात और संचार प्रणालियों को सुधारा।
8. आर्थिक सुधार के लिए, नेपोलियन ने फ्रांस के बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना की
9. वह दंड व्यवस्था को कठोर बनाया और ज्यूरी प्रणाली और मुद्रास्फीत पत्रों को पुनः प्रारंभ कि
10. शिक्षा के विकास के लिए, उन्होंने फ्रांस की यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रांस की स्थापना की, जहां लैटिन, फ्रेंच भाषा, सामान्य विज्ञान और गणित के महत्वपूर्ण विषयों पर शिक्षा दी जाती थी
11. नेपोलियन ने कैथोलिक धर्म को राजधर्म बनाया। इस प्रकार, किसानों, कारीगरों, मजदूरों और नए उद्योगपतियों ने नई स्वतंत्रता का अनुभव कि।
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प्रश्न 1. उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है? उदारवादियों में कि राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया?
उत्तर-
1848 की उदारवादी क्रांति वास्तव में तब हुई जब कई यूरोपीय देशों में बेरोजगारी, भूखमरी और गरीबी की समस्या थी। इस क्रांति को लाने में मध्यम वर्ग ने बड़ा हिस्सा लिया, जिसके कारण सभी देशों में कई बड़े परिवर्तन हुए। यहां प्रमुख राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों का वर्णन है:
राजनीतिक क्षेत्र में परिवर्तन:
1. गणतंत्र की स्थापना करके राजतंत्र का अंत हुआ।
2. जनप्रतिनिधि सभाओं की निर्माण की कोशिशें शुरू हुई, जो सार्वजनिक मताधिकार पर आधारित थीं।
3. जर्मनी, इटली, पोलैंड, और ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्यों में उदारवादी मध्यम वर्ग के पुरुषों ने संविधानवाद की माँग के साथ राष्ट्रीय एकीकरण की माँग को जोड़ा।
4. उदारवादी लोगों ने ऐसे राष्ट्र राज्यों की माँग को बढ़ावा दिया जो संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता, और संगठन जैसे सिद्धांतों पर आधारित थे।
5. महिलाओं को राजनीतिक मताधिकारों की माँग शुरू हुईं गई।
सामाजिक क्षेत्र में परिवर्तन:
1. महिलाओं को पुरुषों के समान दर्जा मिलने लगा और उनकी सभी क्षेत्रों में भागीदारी को महत्व दिया गया।
2. मध्यम वर्ग के सभी क्षेत्रों (राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी, जिससे कुलीन वर्ग की प्रतिष्ठा कम हुई।
आर्थिक क्षेत्र में परिवर्तन:
1. मजदूरों और कारीगरों ने अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन और आंदोलन किया।
2. भू-दासता और बंधुआ मजदूरी को समाप्त किया गया।
3. बाजारों की मुक्ति, सामग्री और पूंजी के स्वतंत्र आदान-प्रदान की मांग को जोर दिया गया, ताकि व्यापारिक उन्नति का मार्ग खुल सके।
यहां दिए गए परिवर्तन उदारवादी क्रांति के परिणामस्वरूप हुए। इस क्रांति ने न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और आर्थिक माध्यम से यूरोपीय देशों में बड़े परिवर्तन को जन्म दिया।
प्रश्न 2. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें।
उत्तर :-
राष्ट्रवाद के विकास में नए परिस्थितियों जैसे युद्ध, क्षेत्रीय विस्तार, शिक्षा आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसके साथ ही संस्कृति ने भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐतिहासिक उदाहरणों में इसका प्रमाण मिलता है।
★ 1848 ई. में फ्रांस के फ्रेडरिक सॉरयू ने अपनी चित्र-श्रृंखला “युटोपिया” बनाई, जिसमें विश्वव्यापी प्रजातंत्रिक और सामाजिक गणराज्यों के स्वप्न को व्यक्त करने का प्रयास किया था। उन्होंने ऐसे आदर्श राज्य या समाज (यूटोपिया) की चित्रण की है, जहां सभी स्त्री, पुरुष और बच्चे स्वतंत्रता के प्रतीक बने हुए हैं और उनके हाथ में मशाल और मानव अधिकारों का घोषणापत्र है। इन चित्रों में उनके कपड़ों, तिरंगे झंडे, भाषा और राष्ट्रगान के माध्यम से राष्ट्रीय आधार पर भी जोर दिया गया है।
★ जर्मन चित्रकार कॉलकैस्पर फ्रिट्ज ने स्वतंत्रता के वृक्ष का रोपण करते हुए एक चित्र बनाया। इसमें उन्हे यूजीन देलाकोआ ने “द मसैकर ऐट किऑस-फ्रांस” नामक एक चित्र बनाया। इस चित्र में उस समय की एक घटना को दिखाया गया है जब तुर्की ने 20,000 यूनानियों को मार डाला था। इसमें महिलाओं और बच्चों की पीड़ा को जोर दिया गया है और उन्हें चटकीले रंगों से रंगा गया है। इसका उद्देश्य देखने वालों में उनकी भावनाओं को जागृत करना और उनके मन में यूनानियों के प्रति सहानुभूति पैदा करना है। कलाकारों ने इस तरीके से अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रवाद को उभारा है और संस्कृति के इसमें महत्वपूर्ण योगदान का भी उल्लेख किया है।
प्रश्न 3. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएँ कि 19वीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए हैं?
उत्तर :-
19वीं शताब्दी में पूरे यूरोप में राष्ट्रीयता का विकास हुआ और इसके परिणामस्वरूप राष्ट्रराज्यों की स्थापना हुई। बेल्जियम और पोलैंड भी इनमें शामिल थे।
1815 ईस्वी में नेपोलियन की हार के बाद वियना संधि द्वारा बेल्जियम और पोलैंड को अन्य देशों के साथ मिलाया गया, जो उन्हें यूरोपीय सरकारों की रूढ़िवादी विचारधारा में जोड़ने का आदर्श था। लेकिन बेल्जियम और पोलैंड ने इसे विरोध किया और अपने को स्वतंत्र राष्ट्रराज्य के रूप में स्थापित किया। इनका निर्माण इस प्रकार हुआ:
★ बेल्जियम में वियना कांग्रेस द्वारा बेल्जियम को हॉलैंड के साथ मिला दिया गया, लेकिन दोनों देशों में ईसाई और प्रोटेस्टेंट धर्म के कट्टर विरोधी रहते थे। बेल्जियम में कैथोलिक धर्म था जबकि हॉलैंड में प्रोटेस्टेंट धर्म प्रचलित था। हॉलैंड के शासक ने हॉलैंडीवासियों को बेल्जियमवासियों से बेहतर माना था। इसलिए उसने सभी स्कूलों को प्रोटेस्टेंट धर्म की शिक्षा देने की आदेश जारी की थी। इसका बेल्जियमवासियों ने कठोर विरोध किया, और इंग्लैंड ने उनका सहयोग दिया, जिसके कारण 1830 में बेल्जियम को स्वतंत्रता प्राप्त करनी पड़ी। इसके बाद, बेल्जियम में इंग्लैंड जैसी संवैधानिक व्यवस्था स्थापित हुई।
★ पोलैंड को वियना संधि द्वारा दो भागों में बांटा गया और इसका बड़ा हिस्सा रूस को ईनाम के तौर पर सौंपा गया। परंतु जब वहां के लोगों में राष्ट्रीय भावना का विकास हुआ, तो 1848 में पोलैंड में वारसा में एक क्रांति आरंभ हुई। इसे रूसी सेनाओं ने कठोरता से दमन किया। परंतु राष्ट्रवादियों ने हार नहीं मानी और दोबारा विद्रोह किया, जिसमें उन्हें सफलता मिली।
Q. प्रश्न 4. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास क्षेत्र यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था?
उत्तर :-
ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का विकास एक लंबी संवैधानिक प्रक्रिया द्वारा हुआ। इसे हम आमतौर पर रक्तहीन क्रांति के नाम से भी जानते हैं। इस प्रक्रिया का सारांश इस प्रकार है:
1. 18वीं शताब्दी से पहले ब्रिटेन एक एकीकृत राष्ट्र नहीं था। वहां अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट और आयरिश जैसी विभिन्न जातियों के समूह अलग-अलग थे जिनकी अपनी विशिष्ट संस्कृति और राजनीतिक परंपराएं थीं।
2. अंग्रेज जाति ने अपनी संपत्ति, महत्व और सत्ता के माध्यम से अन्य द्वीप समूहों पर अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू किया।
3. 1688 ई० में एक लंबे संघर्ष के बाद राजतंत्र की सभी शक्ति अंग्रेज संसद के अधीन आई और एक एकीकृत राष्ट्र की स्थापना की गई, जिसका केंद्र इंग्लैंड था।
4. 1707 ई० में इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच यूनियन एक्ट के माध्यम से यूनाइटेड किंगडम ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन का गठन हुआ, जिससे स्कॉटलैंड पर इंग्लैंड का प्रभुत्व स्थापित हो गया।
5. इसके माध्यम से स्कॉटलैंड की पहचान को दबाया गया। उदाहरण के लिए, स्कॉटिश हाइलैंड्स के वासियों को उनकी गैलिक भाषा बोलने और राष्ट्रीय पोशाक पहनने से रोका गया। इसके परिणामस्वरूप, लोगों को अपने देश छोड़कर दूसरे स्थानों पर जाना पड़ा।
6. आयरलैंड में भी ऐसा ही हुआ और अंग्रेजों ने धार्मिक मतभेद को उपयोग करके वहां की संस्कृति और राजनीतिक संगठनों को नष्ट किया। आयरलैंड में कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट धर्म के दो अलग-अलग समुदाय थे। अंग्रेजों ने प्रोटेस्टेंटों की सहायता से कैथोलिकों को दबाया।
7. 1798 ई० में वोल्फ टोन और उसके यूनाइटेड आयरिशमेन नेतृत्व में हुए विद्रोह को दबाया गया और आयरलैंड को यूनाइटेड किंगडम का हिस्सा बनाया गया।
8. ब्रिटेन राष्ट्र की स्थापना के साथ ही इसके राष्ट्रीय प्रतीकों को जैसे यूनियन जैक (ब्रिटेन का झंडा) और गॉड सेव द स्क्वीन (राष्ट्रीगान) को पूरे यूनाइटेड किंगडम में प्रमुखता दी गई।
प्रश्न 5. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपार
उत्तर –
1871 ईस्वी के बाद बाल्कन क्षेत्र में राष्ट्रवाद का उदय हुआ था क्योंकि:
1. इस क्षेत्र में भौगोलिक और जातीय भिन्नता थी, जिसके कारण यहाँ पर अलग-अलग नृजातीय समूह बसे थे।
2. इस क्षेत्र में यूनान, रोमानिया, बुल्गेरिया, अल्वेरिया, मेसिडोनिया, क्रोएशिया, बोस्निया हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया, मॉन्टिनियो, आदि देश थे, जहाँ पर स्लाव भाषा बोलने वाले लोग रहते थे। ये सभी तुर्की से अलग थे।
3. तुर्की और इन ईसाई जातियों के बीच मतभेदों के कारण यहाँ पर स्थिति भयंकर हो गई।
4. जब स्लाव राष्ट्रीय समूहों में स्वतंत्रता और राष्ट्रवाद का विकास हुआ, तो तनाव बढ़ गया।
5. इस कारण इन राज्यों में आपसी प्रतिस्पर्धा और हथियारों की खरीददारी में तेजी आई। इसने स्थिति को और गंभीर बना दिया।
6. यूरोपीय देशों (रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया, हंगरी) ने भी इन क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित करने चाहा था ताकि काला सागर से होने वाले व्यापार और व्यापारिक मार्ग पर उनका नियंत्रण हो।
उपरोक्त कारणों से इस क्षेत्र में यूरोपीय देशों और इन राज्यों के बीच कई युद्ध हुए, और इसका परिणामस्वरूप प्रथम विश्व युद्ध का आरंभ हुआ।