कक्षा 10 कृतिका अध्याय 4 प्रश्न उत्तर । Class 10 Kritika Chapter 4 Question Answer PDF Download

कक्षा 10 की हिंदी कृतिका के अध्याय 4 “एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा” में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 4 प्रश्न उत्तर (Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Question Answer) दिए गए हैं जो कक्षा 10 के छात्रों के एग्जाम के लिए काफी महत्वपूर्ण है यह प्रश्न उत्तर कक्षा 10 के सभी छात्रों के एग्जाम के लिए रामबाण साबित होंगे। 

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न उत्तर

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. हमारी आजादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?

उत्तर- भारत की आजादी की लड़ाई में सभी धर्मों और सभी वर्गों के लोग सहभागी थे। इस एकता ने भारतवासियों की सच्ची ताकत को प्रकट किया। इस कहानी ‘एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ गाने-नृत्य करने वाली गौनहारिन दुलारी के गर्वन्वित योगदान को दर्शाती है। उसने टुन्नू से प्रेरित होकर रेशम छोड़कर खद्दर (स्वदेशी) वस्त्र धारण किया। दुलारी ने अंग्रेज सरकार के मुखबिर फेंकू सरदार को विदेशी धोतीयों का बंडल देकर विदेशी वस्त्रों की होली जलाने का निर्णय लिया। दुलारी का यह कदम क्रांति की प्रतीक है। दुलारी जैसी समाज में उपेक्षित महिला, जो पैसे के लिए तन का सौदा करती है, ऐसा कदम उठाने से क्या प्रभाव हुआ होगा, इसका अंदाजा बड़ी सरलता से लगाया जा सकता है। लेखक ने इस कहानी में बहुत कुशलता से इस योगदान को प्रस्तुत किया है।

प्रश्न 2. कठोर हृदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?

उत्तर- दुलारी अपने कठोर स्वभाव के लिए मशहूर थी। हर बात पर वह टुन्नू के लिए कठिनाई से झुकने वाली थी, लेकिन उसके मन में टुन्नू के लिए कोमल भाव, दया और प्यार उभर रहे थे, जो अभिव्यक्त नहीं हो पा रहे थे। वह अनुभव कर रही थी कि उसने टुन्नू के प्रति जो उसने उपेक्षा दिखाई थी, वह केवल नकली थी और उसके मन के कोनों में टुन्नू के लिए स्थान बना हुआ था। इसी कारण उसने विदेशी वस्त्रों के प्रति आकर्षण रखने वाली टोली को उन वस्त्रों का संग्रह दे दिया। टुन्नू की मृत्यु पर, उसके अंदर छिपे हुए प्रिय भावों ने उठापटक की और उसने टुन्नू की खादी की धोती पहनकर अपनी आत्मीयता और प्यार का प्रकटीकरण करके उद्विग्न हो जाती है।

प्रश्न 3. कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- कजली लोकगायन एक ऐसी शैली है जिसे भादों की तीज पर गाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसका आयोजन होता था और इस अवसर पर बड़ी भीड़ एकटूट होती थी। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों को मनोरंजन करना होता था और इसके माध्यम से जन-प्रचार भी किया जाता था। स्वतंत्रता से पहले, इस प्रकार के आयोजनों पर लोगों के बीच देश भक्ति की भावना को बढ़ावा दिया जाता था। इसी तरह, आजकल भी हम इस प्रकार के आयोजनों पर सामाजिक बुराइयों जैसे नशे, दहेज, भ्रूण हत्या के खिलाफ प्रचार करते हैं। इसके अलावा, कुछ और परंपरागत लोक आयोजन भी हैं जैसे त्रिंजन (पंजाब), आल्हा-उत्सव (राजस्थान), रागनी प्रतियोगिता (हरियाणा), फूल वालों की सैर (दिल्ली) आदि। इन सभी आयोजनों में क्षेत्रीय लोक गायकी का प्रदर्शन होता है और लोक-गायक इनमें एकटूट होकर भाग लेते हैं। ये भी पढ़ें: कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 2: जॉर्ज पंचम की नाक प्रश्न उत्तर । Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 Question Answer Pdf Download

प्रश्न 4. दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है त सभी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए। 

उत्तर- दुलारी विशेष कहे जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है, फिर भी वह अपनी विशेषताओं से अद्वितीय होती है। उसकी खासियतें इस प्रकार हैं:

1. कजली गायन में निपुणता: दुलारी दुक्कड़ पर कजली गायन की प्रमुख गायिका है। उसका गायन इतना उत्कृष्ट होता है कि अन्य गायक उससे प्रतिस्पर्धा करने से डरते हैं। जहां भी वह गायन के लिए उभरती है, वहां की पक्ष उसकी जीत को निश्चित मानते हैं।

2. स्वाभिमानी: दुलारी भले ही गौनहारिन परंपरा से संबंधित एवं उपेक्षित वर्ग की नारी हो, लेकिन उसके मन में स्वाभिमान की गहरी भावना है। उसने अपनी कोठरी से बाहर फेंकू सरदार को झाड़ मारकर निकालने के माध्यम से इसका प्रमाण दिया है।

3. देशभक्ति और राष्ट्रीयता: दुलारी में देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावना होने के कारण वह विदेशी साड़ियों को जलाने वालों की ओर बंडल फेंक देती है।

4. कोमल हृदय: दुलारी के मन में टुन्नू के लिए बहुत प्रेम की जगह बन जाती है। वह टुन्नू से प्यार करने लगती है और उसके लिए उसके मन में गहरी भावनाएं होती हैं।

इस प्रकार, दुलारी का चरित्र देश और काल के अनुरूप आदर्श है। वह एक विशेष नारी है जो अपने कजली गायन की कुशलता, स्वाभिमान, देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावना, और उसके कोमल हृदय के कारण मशहूर है। उन्हीं विशेषताओं के कारण वह अन्यों से अलग और अत्यधिक विशेष हो जाती है।

प्रश्न 5. दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?

उत्तर- टुन्नू और दुलारी एक दूसरे को भादों के महीने में तीज त्योहार के अवसर पर बाज़ार में मिले। वहां उन्हें गाने के लिए बुलाया गया था। दुक्कड़ पर गायकों के बीच दुलारी का बहुत प्रसिद्ध नाम था क्योंकि उसकी खूबियों में पद्यों में सवाल-जवाब करने की अद्वितीय कला थी। बड़े-बड़े गायक उसके सामने बहुत छोटे लगते थे और इसी कारण से कोई भी उसके सामने नहीं आता था। उसी कजली दंगल में उसे टुन्नू से मिलने का मौका मिला। टुन्नू भी पद्यात्मक शैली में सवाल-जवाब करने में निपुण था। वह दुलारी की ओर हाथ उठाकर चुनौती के रूप में बोल उठा। दुलारी मुस्कान में खोई हुई रही और उसकी बातें सुनती रही। टुन्नू ने दुलारी को भी अपने आगे नतमस्तक कर दिया।

प्रश्न 6. दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था- “तें सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखते लोट ?…!” दुलारी के इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- दुलारी ने टुन्नू को यह कहने में सही ठहराया – “तू सोच, जब तू बड़ा हो जाएगा, तब तू कभी नोट देखेगा क्या?!” क्योंकि टुन्नू अभी सोलह-सत्रह साल का है। उसके पिताजी एक गरीब पुरोहित हैं जो कठिनाईयों के साथ अपने परिवार को पाल रहे हैं। टुन्नू ने अब तक नोट (पैसे) देखे नहीं हैं। उसे नहीं पता कि लोग कैसे पैसों की मदद से अपनी जीविका चलाते हैं। यहाँ दुलारी ने उन लोगों पर आलोचना की है जो असल जीवन में कुछ करने की बजाय दूसरों की नकल करने पर भरोसा करते हैं। उसकी राय में, इस जीवन में हमें कभी भी पता नहीं कि कैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। इस जीवन में हमें कभी भी पैसे या धन कमाने की गारंटी नहीं है। इसलिए, हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

प्रश्न 7. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?

उत्तर- भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपनी-अपनी तरह से महत्वपूर्ण योगदान दिया। टुन्नू ने विदेशी कपड़ों का संग्रह करके उन्हें होली में जलाने में अहम भूमिका निभाई। वह उन विदेशी कपड़ों को इकट्ठा करने में सक्रिय था। उसका उद्देश्य था कि देशी उत्पादों को बढ़ावा मिले। इस आंदोलन के दौरान उसे पुलिस द्वारा बर्बरता का सामना करना पड़ा। इसके परिणामस्वरूप, वह अपनी जान गवा बैठी।

दुलारी ने टुन्नू की इस देशभक्ति को सम्मानित करने के लिए उसको भेंट की गई खादी की साड़ी पहनी। वह उसे अपने प्रेमी के रूप में स्वीकार कर उसकी बलिदानपूर्ण प्रेरणा का सम्मान किया। सरकारी कार्यक्रम में, जहां उसके बलिदान की याद में आँसू बहाए गए, उसने सबके सामने एक गाना गाया – ‘एही, तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा’। इसी समय मेरी नाक की नथ गिर गई है और मेरा प्रिय व्यक्ति खो गया है। ये भी पढ़ें: कक्षा 10 हिंदी कृतिका अध्याय 1: “माता का आँचल” प्रश्न उत्तर । Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 Question Answer PDF Download

प्रश्न 8. दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?

उत्तर- दुलारी को टुन्नू की काव्य प्रतिभा और सुंदर स्वर पर बहुत प्रभावित होती थी। जब दुलारी यौवन के ऊँचे शिखर पर खड़ी होकर टुन्नू के दिल में अपना एक विशेष स्थान बना लिया था। टुन्नू भी उस पर आकर्षित था, लेकिन उसका आकर्षण शारीरिक नहीं, आध्यात्मिक था। इसलिए दोनों के बीच का संबंध कला और कलाकार के माध्यम से ही था। दुलारी के मन में टुन्नू के प्रति एक करुणामय भाव था। टुन्नू ने अपने आयोजित किए गए कार्यक्रमों में आबरवाला के जगह खद्दर का कुर्ता पहनना शुरू कर दिया, और दुलारी को गांधी आश्रम की बनी धोती दी। आखिरकार, टुन्नू ने देश के दीवानों की टोली में शामिल होकर अपना जीवन समर्पित कर दिया। इन सब गतिविधियों से दुलारी भी प्रेरित होती है, और वह देश के दीवानों को विदेशी वस्त्र उपहार देने के लिए प्रेरित होती है, टुन्नू की मृत्यु के बाद उसके दिए हुए खद्दर के कपड़े पहनकर उसके मरने के स्थान पर जाने की इच्छा रही। और फिर वह टाउन हॉल में जाकर उसकी श्रद्धांजलि में गीत गाने की सोचती है – एक गीत जो सभी देशभक्तों की भावना को व्यक्त करे।

प्रश्न 9. जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर से अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है?

उत्तर- आज़ादी के दीवानों की एक समूह विदेशी कपड़ों का संग्रह कर रही थी। ज्यादातर लोग पुराने और फटे हुए कपड़े दे रहे थे। लेकिन दुलारी के पास बिलकुल नए कपड़े थे। दुलारी ने विदेशी कपड़ों के ढेर में कोरी रेशमी साड़ियों को फेंका। इससे दिखाया गया कि वह एक सच्ची हिन्दुस्तानी है, जिसके दिल में देश के प्रति प्रेम और आदरभाव हैं। उसके लिए साड़ियों का कोई महत्व नहीं है। उसके दिल में उन रेशमी साड़ियों का प्यार नहीं था। प्यार था, अपने देश के सम्मान का। यह उसकी सच्ची देशभक्ति की मानसिकता को दिखाता है।

प्रश्न 10. ‘मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जति प्रेम व्यक्त हुआ है, परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?

उत्तर- “मन किसी को बस नहीं, वह रूप या उम्र का कायल नहीं होता।” – यह टुन्नू के बचपन के मन की भावना है। जब टुन्नू सोलह-सत्रह साल का था, उस समय उसकी साथी दुलारी जवानी के आगे खड़ी थी। टुन्नू को शारीरिक रूप से किसी आकर्षण की इच्छा नहीं थी।

उसके मन में दुलारी के शरीर के प्रति कोई लालच नहीं थी, बल्कि उसे पवित्र और सम्मानीय स्नेह था। होली के मौके पर दुलारी को सूती खादी साड़ी देने पर जब दुलारी उसे अनदेखा कर दिया, तो उसने कहा कि मैं तुमसे कुछ प्रतिदान माँगने का इरादा नहीं रखती।

दुलारी की अनदेखी के जवाब में, टुन्नू ने अपने विचार दिखाकर दुलारी के प्रति बढ़ते प्यार को राष्ट्र-प्रेम की ओर मोड़ दिया। वह आज़ादी के लोगों के साथ काम करने लगा। विदेशी वस्त्रों को जलाने वाली टोली में शामिल हो गया। इस राष्ट्र-प्रेम के भाव के कारण जब अली सगीर ने उसे गाली दी, तो टुन्नू ने सवाल किया और जब उसे मारा गया, तो उसे देश-प्रेम से शहीद हो गया। इस प्रकार, उसका बलिदान खुफिया पुलिस के रिपोर्टर की खबर के विरोध में हुआ और उसका देश-प्रेम सफल हुआ।

प्रश्न 11. एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ का प्रतीकार्थ समझाइए ।

उत्तर- यहां तो मेरी हैरानी हो रही है, रामा! – ये लोकभाषा में रचित गीत का मुखड़ा शब्दों में अर्थ है- यहां पर मेरी नाक के छिद्र से लोंग गायब हो गया है। इसका एक गहरा संकेतिक अर्थ है। यहां नाक में पहने जाने वाला लोंग सुहाग का प्रतीक है। दुलारी एक गौनहारिन है। वह उस व्यक्ति के नाम का लोंग अपनी नाक में पहनती है। लेकिन उसके मन के समान रूप में, उसने टुन्नू के नाम का लोंग पहन लिया है। और वहीं जगह पर वह गीत गा रही है; उसी जगह पर टुन्नू की हत्या हुई है। इसलिए दुलारी का अर्थ है- यहां ही वह स्थान है जहां मेरा सुहाग चोरी हो गया है।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

प्रश्न 1. दुलारी अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग थी। इसके लिए वह क्या करती थी और क्यों ?

उत्तर- दुलारी उन महिलाओं से अलग थीं जो अपने स्वास्थ्य के प्रति ध्यान नहीं देतीं। वह अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए समय-समय पर कसरत करती और भिगोए हुए चने खाती थीं। दुलारी समाज के उस वर्ग से संबंधित थीं जहाँ गाकर गुजारा करना उनकी रोजगार का माध्यम था। वे फेंकू सरदार जैसे लोगों से अपने आप को बचाने के लिए अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने की जरूरत महसूस करती थीं।

प्रश्न 2. टुन्नू दुलारी के लिए खद्दर की सूती साड़ी लेकर क्यों आया?

उत्तर- टुन्नू सोलह-सत्रह साल के ब्राह्मण युवक था, जो गायन की कला में उभरता हुआ कलाकार था। उसके अंदर देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावना उमड़ी हुई थी। जो लोग मलमल के कपड़े पहनते हैं, उसी प्रकार टुन्नू ने खादी कपड़े पहनना शुरू कर दिया था। वह अपने मन के किसी कोने में दुलारी के लिए नर्म भावनाएं रखता था। अपने गहरे प्रेम को व्यक्त करने और होली के त्योहार पर उपहार देने के लिए वह खाद्य के सूती साड़ी ले आया।

प्रश्न 3. अपने दरवाजे पर टुन्नू को खड़ा देख दुलारी ने क्या प्रतिक्रिया प्रकट की और क्यों?

उत्तर- जब दुलारी ने अपने दरवाजे पर टुन्नू को खड़ा देखा, तो पहले तो उसने टुन्नू से कहा, “तुम फिर यहाँ कैसे आ गए? मैंने तुम्हें यहाँ आने से मना किया था।” जब वह टुन्नू के मुंह से सालभर के त्योहार के बारे में बातें सुनी, तो वह बहुत गुस्से में उठ गई और टुन्नू को अपशब्द बोलने लगी। वास्तव में दुलारी चाहती थी कि टुन्नू, जैसा किशोर है, अभी से अपने भविष्य को उपेक्षा न करके प्रेम-मोहब्बत में पड़ जाए।

प्रश्न 4. दुलारी का उपेक्षापूर्ण व्यवहार देखकर टुन्नू चला गया पर इसके बाद दुलारी के मनोभावों में क्या-क्या बदलाव आए?

उत्तर- दुलारी ने नहीं चाहा कि टुन्नू उसकी खद्दर की साड़ी को स्वीकार करे और न उससे ठीक से व्यवहार करे। इससे उसे बहुत दुख हुआ और उसका दिल दुख कर आँसू बनकर बहने लगे, जो उसके पैरों के पास उसी साड़ी पर गिर गए। टुन्नू बिना कुछ कहे सीढ़ियाँ उतर कर चला गया और दुलारी उसे देख रही थी, लेकिन उसके नेत्रों में गुस्सा और कठोरता की जगह करुणा और कोमलता ने अपनाई। उसने धरती पर पड़ी खद्दर की धोती उठाई और साफ धोती पर पड़े काजल के दागों को बार-बार चूमने लगी।

प्रश्न 5. खोजवाँ वालों ने अपनी ओर से कजली दंगल में किसे खड़ा किया था और क्यों?

उत्तर- खोजवालों ने कजली दंगल में अपनी ओर से दुलारी को खड़ा किया। इसका कारण यह था कि दुःखद परिस्थिति में गायन करने वाली दुलारी बहुत प्रसिद्ध थी। उसे पद्यों में सवाल जवाब करने की अद्भुत क्षमता प्राप्त थी। कजली गायन करने वाले बड़े-बड़े शायर भी उससे मुकाबला करने से बचते थे। दुलारी जहां से गायन करने के लिए खड़ी होती थी, उसकी विजय को निश्चित माना जाता था।

प्रश्न 6. टुन्नू के परिवार का संक्षिप्त परिचय देते हुए बताइए कि उसने दुलारी से गायन में मुकाबला करने का साहस कैसे कर लिया?

उत्तर- टुन्नू एक सोलह-सत्रह वर्षीय युवक था, जिसकी गौरवशाली व्यक्तित्व से अलग-थलग थी। वह दुबला-पतला ब्राह्मण था। उसके पिता घाट पर बैठकर, कच्चे महाल के दस-पाँच घरों की यजमानी करते रहते थे। उन्होंने सत्यनारायण की कथा से लेकर श्राद्ध और विवाह जैसे सभी कठिनाईयों को यथायोग्यता से निभाया।

इसी बीच, टुन्नू को आवारा लड़कों के साथ समय बिताना पसंद था। उसे शायरी में रुचि पकड़ गई। वह अपने आदर्श भैरोहेला को अपना गुरु मानकर, शीघ्र ही कजली गीत की रचना करने लगा। इसके अलावा, वह पद्यात्मक प्रश्नोत्तरी में भी माहिर था। अपनी यह कुशलता पर आश्रित होकर, वह बजरडीहा वालों के पास गया और दुलारी के साथ गायन मुकाबला करने के लिए बैठा।

प्रश्न 7. टुन्नू का गायन सुनकर खोजवाँ वालों की सोच और दुलारी के व्यवहार में क्या अंतर आया?

उत्तर- खोजवाँ बाजार में आयोजित कजली दंगल में जब साधारण गाना हो गया तो दुक्कड़ की आवाज़ सुनाई दी। वहां से एक युवा गायक विपक्ष से ऊपर हाथ उठाकर बुलवाए गए गाने को गाने लगा. “रनियाँ अपनी परमेसरी लो!” उसने मधुर स्वर में कहा। यह गाना सुनकर खोजवालों ने सोचा कि उनकी विजय अब निश्चित नहीं है। वहीं, दूसरी ओर दुलारी टुन्नू जो थोड़ा सा नाराज़ हो गई थी, उसने अपने स्वभाव के विपरीत मुस्कान देते हुए और गीत को सुनते हुए मुग्धता से खोज रही थी।

प्रश्न 8. कजली दंगल की मजलिस बदमज़ा क्यों हो गई?

उत्तर- भादों महीने में तीज अवसर पर खोजवा बाजार ने एक कजली दंगल आयोजित किया था। खोजवाँ वाले इस आयोजन में शामिल थे और उन्होंने दुलारी को धन्यवाद दिया। इसके बाद बजरडीहा वाले ने टुन्नू से कहा कि वह साधारण गाना पूरा करने के बाद सवाल-जवाब के पद्यात्मक गायन की प्रतियोगिता शुरू करें। टुन्नू ने अपने गीत के माध्यम से दुलारी के सवालों का भरपूर जवाब दिया। दोनों एक-दूसरे के आक्षेपों का जवाब दे रहे थे। टुन्नू ने अपने गायन के जवाब को फेंकू सरदार को गुस्सा दिलाने के लिए चिढ़ाई का साहस दिखाया। इस पर फेंकू सरदार नाराज हो गए और उन्होंने टुन्नू को मारने के लिए लाठी लेकर उनके पास आए। इस पर दुलारी ने टुन्नू की सुरक्षा की। लोगों के बहुत कहने पर दोनों ने गाना छोड़ दिया और मजलिस बिगड़ गई।

प्रश्न 9. टुन्नू की उपेक्षा करने वाली दुलारी के मन में उसके प्रति कोमल भावनाएँ कैसे पैदा हो गई?

उत्तर- टुन्नू और दुलारी की पहली मुलाकात खोज बाजार में गायन के समय हुई थी। उसी समय टुन्नू ने दुलारी के हृदय की कमजोरी का अनुभव पहली मुलाकात में ही किया था, लेकिन वह दुलारी को उपेक्षा करती रही और उसे भावनाओं की लहर मानकर उसका ध्यान नहीं दिया। होली के त्योहार पर, टुन्नू ने उसे एक भावुक उपहार दिया, जिससे दुलारी ने समझ लिया कि टुन्नू के मन में उसके शरीर के प्रति कोई लोभ नहीं है। दुलारी ने अनुभव किया कि उसके हृदय के किसी कोने पर टुन्नू का प्रभाव महसूस हो रहा है। इस तरह उसके मन में टुन्नू के प्रति कोमल भावनाएं पैदा हो गईं।

प्रश्न 10. होली के दिन देश के दीवाने अपनी होली किस तरह मनाना चाहते थे? उनके इस कार्य में दुलारी ने किस तरह सहयोग किया?

उत्तर- होली के दिन देश के दीवाने अपनी होली कुछ अलग ढंग से मनाना चाह रहे थे। सवेरे से ही वे जुलूस निकालकर विदेशी कपड़ों को इकट्ठा करने में लगे रहे। वे एक समूह बनाए और भारत जननि तेरी जय, तेरी जय हो’ गाते हुए लोगों को प्रेरित कर रहे थे और लोग अपने कुर्ते, कमीज, टोपी, धोती आदि दान कर रहे थे। दुलारी ने भी इस प्रकार की आदिवासी अनुकरण को सुनते हुए खिड़की खोली और मैनचेस्टर और लंकाशायर के मिलों की साड़ियों का नया ढेर फेंककर अपना योगदान दिया।

प्रश्न 11. विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने का आह्वान करने वाला दल क्या देखकर चकित रह गया?

अथवा

दुलारी ने विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का नाटक नहीं किया बल्कि सच्चे मन से सहयोग दिया, स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर- विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करने वाले दल के सदस्यों ने एक चादर उठाई थी। लोग उस चादर पर अपने धोती, साड़ी, कमीज, कुर्ता, टोपी और अन्य कपड़े रख रहे थे। लेकिन जब एक नई बंडल बनी हुई दुलारी बारीक सूत की मखमली किनारे वाली धोतियां चादर पर फेंकी गईं, तो चादर को संभालने वाले व्यक्ति हैरान रह गए। इसलिए कि पहले जमा किए गए कपड़े पुराने और फटे हुए थे, हालांकि नई बंडल की धोतियों की तह तो अभी तक खुली नहीं थी।

प्रश्न 12. सहायक संपादक ने अपनी रिपोर्ट में टुन्नू की मौत का उल्लेख किस तरह किया है?

उत्तर- सहायक संपादक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि एक जुलूस, जो विदेशी वस्त्रों का संग्रह कर रहा था, टाउनहाल पर विघटित हो गया। उस समय पुलिस जमादार ने एक युवक को पकड़ा और उसे गालियाँ दीं, जिसके कारण युवक ने उत्तर दिया। जमादार ने उसे बूट से मारा, जिससे युवक की पसली टूट गई। इससे युवक के मुँह से थोड़ा खून निकला। तब यूँहीं वहाँ खड़े गोरे सैनिकों की गाड़ी में युवक को बिठाकर उसे अस्पताल ले जाने का फैसला लिया गया और रात्रि के आठ बजे वह वरुणा में पहुंचाया गया।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1. टुन्नू जैसा साधारण-सा युवक भी देश की स्वाधीनता में अपना योगदान देकर मातृभूमि का ऋण चुकाता है। टुन्नू के चरित्र से आप किन-किन जीवन मूल्यों को अपनाना चाहेंगे?

उत्तर – देश को स्वतंत्र कराने में देश की आम जनता और टुन्नू जैसे साधारण युवकों का भी योगदान है, जो विभिन्न तरीकों से मातृभूमि का ऋण चुकाते हैं। टुन्नू एक ओर विदेशी वस्त्रों का त्याग करता है, वहीं दूसरी ओर विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने वाले देशभक्तों के साथ जुलूस में बढ़-चढ़कर भाग लेता है, जो बाद में उसकी मौत का कारण भी बन जाता है। टुन्नू के चरित्र से हम निम्नलिखित जीवन-मूल्यों की सीख ले सकते हैं:

+ देशप्रेम और राष्ट्रीयता: टुन्नू में राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना भरी है। वह विदेशी वस्त्रों को छोड़कर भारतीय वस्त्र पहनता है और देश को स्वतंत्र कराने में अपना योगदान देता है। इससे हमें देशप्रेम और राष्ट्रीयता को बनाए रखने की सीख मिलती है।

+ भारतीय वस्तुओं के प्रति आसक्ति: टुन्नू सिर्फ विदेशी वस्त्रों को नहीं त्यागता है, बल्कि विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने वाले जुलूस में भी शाम होकर भागता है और दूसरों को भी ऐसा करने की प्रेरणा देता है। इससे हमें भारतीय वस्त्रों को अपनाने की सीख मिलती है।

+ स्वाभिमान: टुन्नू पुलिस जमादार अली सगीर की गालियों को नहीं सहता है और तुरंत प्रतिक्रिया करके अपने स्वाभिमान का परिचय देता है। इससे हमें भी स्वाभिमानी बनने की सीख मिलती है।

इस प्रकार, टुन्नू के जीवन उदाहरण से हमें देशप्रेम, राष्ट्रीयता, भारतीय वस्तुओं के प्रति आसक्ति और स्वाभिमान जैसे महत्वपूर्ण मूल्यों की सीख मिलती है।

प्रश्न 2. दुलारी का चरित्र समाज के उपेक्षित उस वर्ग का सच्चा प्रतिनिधित्व करता है जो देश की आज़ादी में अपने ढंग से अपना योगदान देता है। इस कथन के आलोक में स्पष्ट कीजिए कि दुलारी के चरित्र से आप किन-किन मूल्यों को अपनाना चाहेंगे? 

उत्तर- दुलारी समाज के उस वर्ग से संबंध रखती है जो सभा, उत्सव जैसे आयोजनों में गीत गाकर अपनी आजीविका चलाती हैं। लोग इस वर्ग को अच्छी दृष्टि से नहीं देखते हैं और कुछ लोग इन पर नकारात्मक नजरिए रखते हैं। उन्हें पुरुषों की घटिया सोच का सामना करना पड़ता है, जो महिलाओं की स्वतंत्रता को समझने में नाकारात्मकता बरतते हैं। दुलारी भी इन बातों से अनभिज्ञ नहीं हैं, इसलिए वह अपने शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखना चाहती हैं ताकि जब ऐसे लोगों का सामना करना पड़े, वह उनसे बेहतर टकरा सकें। दुलारी विदेशी वस्त्रों का त्याग कर देती हैं, क्योंकि उन्हें टुन्नू की देशभक्ति और राष्ट्रीयता से प्रभावित होने का आदर्श मिला है। उनके चरित्र से हमें स्वाभिमान बनाए रखने, समय पर सही निर्णय लेने, राष्ट्रीय भावना को जीवित रखने, देश प्रेम का साहस दिखाने जैसे मूल्यों की सीख मिलती हैं।

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